एस्मा के बावजूद सरकारी कर्मचारियों के मांग "अबकी बार, पुरानी पेंशन पूर्णत: बहाल, वरना न ही मोदी सरकार...न योगी सरकार.... " की नारा सफल होगी यार
योगी सरकार का एस्मा या फिर पुरानी पेंशन बहाली: होगी कर्मचारियों की जीत ?
"अबकी बार, पुरानी पेंशन बहाल करो यार, योगी सरकार.... मोदी सरकार" उत्तर प्रदेश सरकार के कर्मचारीयों की यह नारा से स्पष्ट झलक मिलती है कि प्रदेश के कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली की अपनी मांग को लेकर योगी सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं. साथ ही हड़ताल से प्रदेश में मचा हाहाकार मचाना शुरु हो गया है.
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एस्मा के बावजूद उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारीयों, शिक्षक और अधिकारी तथा अन्य 200 विभागों के 25 लाख से ज्यादा कर्मचारी 6 फरवरी से 12 फरवरी तक सामूहिक रूप से हड़ताल पर रहेंगे. इस हड़ताल के चलते पूरे प्रदेश में कामकाज पूरी तरह से ठप हो जाने की आशंका है. राज्य कर्मचारियों के इस आंदोलन को केंद्रीय संगठनों ने अपना समर्थन दिया है.
कर्मचारियों की हड़ताल
बतादे कि, उत्तर प्रदेश के करीब 20 कर्मचारी संगठनों ने सोमवार शाम को मुख्य सचिव डॉ़ अनूप चंद्र पांडेय से वार्ता विफल होने के बाद पुरानी पेंशन बहाली मंच के बैनर तले एक सप्ताह की हड़ताल पर जाने का ऐलान किया. इस हड़ताल में नगर निगम, ट्रेजरी, जिला प्रशासन, लोक निर्माण विभाग, वाणिज्य कर और पशुपालन जैसे सभी प्रमुख विभागों के लाखों कर्मचारी शामिल हैं. इन विभागों के कर्मचारी संगठनों का दावा है कि इन छह दिनों तक कोई काम नहीं होगा.
पुरानी पेंशन बहाली की मांग करने वाले कर्मचारियों पर योगी सरकार का करा रुख, लगाया एस्मा !
पुरानी पेंशन बहाली की मांग करने वाले कर्मचारियों पर योगी सरकार ने अपना शिकंजा कसा है. सरकार ने आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम (एस्मा) के तहत अधिसूचना जारी करके कर्मचारियों की हड़ताल को अगले छह महीने तक के लिए गैरकानूनी करार दिया है. हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों पर सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली- 1999 के तहत कार्रवाई की जाएगी. मुख्य सचिव ने सभी मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि हड़ताल पर जाने और दूसरे कर्मचारियों को हड़ताल के लिए बाध्य करने वाले कर्मचारियों पर ऐस्मा के तहत कार्रवाई कर. इसके बावजूद इसके कर्मचारी संगठन अपनी हड़ताल पर अडिग हैं और वह सरकार से दो-दो हाथ करने के पूरे मूड में हैं.
उलटा पड़ा सरकार का दांव
प्रदेश की योगी सरकार को उम्मीद थी कि केंद्र के बजट में आयकर छूट पांच लाख करने का ऐलान के सकारात्मक असर होगा और कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की जिद छोड़ देंग. इसी वजह से प्रदेश सरकार ने नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) में केंद्र के सुधारात्मक प्रयासों को प्रदेश में लागू करने का ऐलान भी नहीं किया था, मगर हुआ उल्ट. कर्मचारियों ने नई पेंशन की विसंगति दूर करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को ठुकराकर हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया.
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सरकार ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश
वहीं दूसरी तरफ सरकार राज्य कर्मचारियों की हड़ताल के बाद सरकार ने डैमेज कंट्रोल करना भी शुरू कर दिया है. प्रमुख सचिव अनूप चंद पांडेय ने कहा कि प्रदेश सरकार केंद्र सरकार द्वारा कर्मचारियों को पेंशन में दिये जाने वाली हिस्सेदारी 10 प्रतिशत के स्थान पर 14 प्रतिशत देते हुए उस पर लगने वाले ब्याज को भी कर्मचारियों को देगी. इसी प्रकार राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि वह भी पेंशन योजना में सभी कर्मचारियों को केन्द्र की भांति सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों की हर सुविधा का ध्यान रख रही है और बोर्ड परीक्षा के दृष्टिगत कोई भी कर्मचारी कुछ संगठनों द्वारा प्रस्तावित हड़ताल पर न जाएं.
अर्थात, योगी सरकार केंद्र की तरह राज्य कर्मचारियों की नई पेंशन में अपनी हिस्सेदारी 4% बढ़ाने की तैयारी में है. यानी सरकारी अंशदान 10 से 14 फीसदी हो जाएगा. इसका भूगतान भी ब्जाय के साथ किया जाएगा. एनपीएस में कर्मचारियों का अंशदान पहले की तरह मूल वेतन का दस फीसदी ही रहेगा. सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में इसका प्रस्ताव लाया जा सकता है. रिटायरमेंट के समय एनपीएस में कुल जमा से 60 फीसदी रकम की निकासी को टैक्स फ्री करने का प्रस्ताव है. अभी 40 फीसदी रकम टैक्स फ्री है. 20 फीसदी पर कर लिया जाता है. बाकी 40 फीसदी रकम पेंशन योजना में चली जाती है. यही नहीं सरकार नई पेंशन में 2005 से राज्य के हिस्से का जो 10 फीसदी अंशदान जमा नहीं हुआ है, उसे जमा करने व उसका भुगतान ब्याज समेत करने की भी तैयारी में है.
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग को ऐस्मा में सम्मिलित कर लिया गया है. जो कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जाएंगे, उनको प्रशासन द्वारा पूरी सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी. यदि कोई संगठन या कर्मचारी बोर्ड परीक्षा को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे तो उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी. उन्होंने सभी जिलाधिकारियों एवं जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिये हैं कि यूपी बोर्ड की शांतिपूर्ण परीक्षा कराना उनकी जिम्मेदारी है. वह यह सुनिश्चित करें कि किसी भी हालत में परीक्षा प्रभावित न हो. इसके लिए वह वैकल्पिक व्यवस्था की भी तैयारियां कर लें.
प्रमुख सचिव ने जिला विद्यालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपने कर्मचारियों को परमानेन्ट रिटायरमेंट नंबर आवश्यक रूप से दिलाएं. उन्होंने पीडब्लूडी, स्वास्थ्य, ट्रांसपोर्ट, नगर निकाय, विद्युत आदि जिन विभागों में कर्मचारियों की संख्या अधिक है उनको निर्देशित किया कि वह अपने कर्मचारियों के हितों को देखते हुए यथाशीघ्र परमानेंट रिटायरमेंट नंबर दिलवाएं. उन्होंने जिलाधिकारियों से कहा कि वह स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के साथ बैठक कर यह सुनिश्चित कर ऐसी व्यवस्था बनाएं जिससे कोई कार्य प्रभावित न हो.
सरकारी कर्मचारी का रुख
योगी सरकार द्वारा 6 फरवरी से कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच की हड़ताल पर भले ही प्रतिबंध लगा दिया हो और हड़तालियों पर ऐस्मा की कार्रवाई की चेतावनी दी हो, लेकिन कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर अडिग हैँ.
परंतु लाख टके का सवाल यह भी है कि सरकारी कर्मचारी यूनियनो के मांग के अनुसार योगी सरकार.या मोदी सरकार पुरानी पेंशन बहाली करेगी ? या फिर सरकारी अंशदान कि 14 फीसदी के तोहफे से आंदोलन समाप्त कर दिया जाएगा ? क्योंकि अप्रैल एवं मई माह में लोकसभा का आम चुनाव होने वाली है साथ ही योगी सरकार एवं मोदी सरकार अपना सत्ता बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है. कार्मिकों के कुछ वर्ग को यह भी आस है कि सरकार यूनियन के मांग पर सकारात्मक रूख दिखा सकती है.
क्या सरकारी कर्मचारियों के मांग "अबकी बार, पुरानी पेंशन पूर्णत: बहाल, वरना न ही मोदी सरकार...न योगी सरकार.... " की नारा सफल होगी ? इसके लिए परमन्यूज से जुड़े रहें अगले पोस्ट में सरकार की मंशा का विश्लेषण दिया जाएगा.
सरकारी कर्मचारियों से अनुरोध है कि अपना मत नीचे कमेन्ट बॉक्स मे जाकर जरुर रखे.
Only ops
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